Tuesday, January 15, 2019

Tuesday, January 8, 2019

कोई दग़ा दे गया

दुनिया को क्या बताऊँ कि क्या दे गया मुझे,
रातों को जागने की सज़ा दे गया मुझे
कश्ती मेरी भँवर से निकल आई थी मगर,
साहिल पे लाके कोई दग़ा दे गया मुझे।                        
दुनिया को क्या बताऊँ कि क्या दे गया मुझे,
रातों को जागने की सज़ा दे गया मुझे
कश्ती मेरी भँवर से निकल आई थी मगर,
साहिल पे लाके कोई दग़ा दे गया मुझे।

आज नहीं तो कल होगा

हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी  दुरगामी है जीवन ...