Wednesday, September 9, 2015

तू अगर चाहे तो बर्बाद कर मुझे मौला !
इस बहाने ही सही याद कर मुझे मौला !
मैं थक गया हूँ इस किरदार को जीते-जीते
जिस्म की क़ैद से आजाद कर मुझे मौला

No comments:

Post a Comment

आज नहीं तो कल होगा

हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी  दुरगामी है जीवन ...