Wednesday, February 20, 2019
जब नाव जल में छोड़ दी
तूफ़ान में ही मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या
कह मृत्यु को वरदान ही
मरना लिया जब ठान ही
फिर जीत क्या फिर हार क्या
जब छोड़ दी सुख की कामना
आरंभ कर दी साधना
संघर्ष पथ पर बढ़ चले
पिर फूल क्या अंगार क्या
संसार का पी पी गरल
जब कर लिया मन को सरल
भगवान शंकर हो गए
फिर राख क्या श्रृंगार क्या ।
तूफ़ान में ही मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या
कह मृत्यु को वरदान ही
मरना लिया जब ठान ही
फिर जीत क्या फिर हार क्या
जब छोड़ दी सुख की कामना
आरंभ कर दी साधना
संघर्ष पथ पर बढ़ चले
पिर फूल क्या अंगार क्या
संसार का पी पी गरल
जब कर लिया मन को सरल
भगवान शंकर हो गए
फिर राख क्या श्रृंगार क्या ।
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आज नहीं तो कल होगा
हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी दुरगामी है जीवन ...

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बुलंदी का नशा संतों के जादू तोड़ देती है, हवा उड़ते हुए पंछी के बाज़ू तोड़ देती है ! सियासी भेड़ियों थोड़ी बहुत गैरत ज़रूरी है, तवायफ तक किसी म...
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मैं कोई मुल्क नहीं हूं कि जला दोगे मुझे कोई दीवार नहीं हूं कि गिरा दोगे मुझे कोई सरहद भी नहीं हूं कि मिटा दोगे मुझे यह जो दुनिया ...
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हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी दुरगामी है जीवन ...