Wednesday, February 20, 2019

जब नाव जल में छोड़ दी
तूफ़ान में ही मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या

कह मृत्यु को वरदान ही
मरना लिया जब ठान ही
फिर जीत क्या फिर हार क्या

जब छोड़ दी सुख की कामना
आरंभ कर दी साधना
संघर्ष पथ पर बढ़ चले
पिर फूल क्या अंगार क्या

संसार का पी पी गरल
जब कर लिया मन को सरल
भगवान शंकर हो गए
फिर राख क्या श्रृंगार क्या ।

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