Sunday, January 17, 2021

क्या मुस्कुराना छोड़ दें

 हादसों की ज़द पे हैं तो क्या मुस्कुराना छोड़ दें

ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें
...वसीम बरेलवी


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हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी  दुरगामी है जीवन ...