हादसों की ज़द पे हैं तो क्या मुस्कुराना छोड़ दें
हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी दुरगामी है जीवन ...
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