Monday, September 19, 2022

गिर जाना मेरा अंत नहीं

"की मुखरे पर धूल लगी माना,
माथा फूटा माना लेकिन
गालों पर थप्पड़ खाये है
जबरा टूटा माना लेकिन
माना की साँसें उखड़ रही
और धक्का लगता धड़कन से,
लो मान लिया की कांप गया
पूर्ण बदन अंतरमन से
पर आँखों से अंगारे मै नथुनो से तूफा लाऊंगा
मैं गिर गिर कर भी धरती पर हर बार खड़ा हो जाऊँगा

मुठ्ठी में भींच लिया तारा तुम नगर में ढोल पिटा दो जी
की अँधेरे हो लाख घने पर अँधेरे अनंत नहीं
गिर जाना मेरा अंत नहीं "

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