Monday, April 30, 2018

अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस

"यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्
 तथा पुरुषकारेण विना दैवं न सिध्यति"
अपने श्रम-बल से न सिर्फ अपना भाग्य लेख लिखने वाले बल्कि विश्व में मानव जीवन को आसान बनाने वाले सभी श्रम-साधकों को अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस पर प्रणाम!

Saturday, April 28, 2018

नाम मोहब्बत है

"जो धरती से अम्बर जोड़े उसका नाम मोहब्बत है
जो शीशे से पत्थर तोड़े उसका नाम मोहब्बत है
क़तरा क़तरा सागर तक तो जाती है हर उम्र, मगर
बहता दरिया वापस मोड़े उसका नाम मोहब्बत है..."
#KV

Friday, April 27, 2018

मैं शायर हूँ,

तू  ज़ुल्म कहाँ तक ढ़ायेगा देखें किस हद तक जायेगा
हाँ झूँठ फ़ना होगा एक दिन सच का परचम लहरायेगा
अल्लाह हमारे साथ है तो हाथियारों से क्या डरना
मैं शायर हूँ,  एक शायर सरकारों  से क्या डरना

Tuesday, April 24, 2018


ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया

     ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया 
मैं आज सारी किताबें जला कर लौट आया
ज़िन्नके पंखों पे उम्मीद लगा बैठा था 
आज ऊंही परों को उखाड फेक  आया
दिल साफ है मेरा शायद इसी लिये आज
लोगों की राजनीति का हिस्सा बन पाया
ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया
#rohitrajranjan.blogspot.com

Tuesday, April 17, 2018


एक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए



Friday, April 13, 2018

फिर भी बच्चा बन जाना चाहता है


वो नंगे पैर भागना चाहता है
वो सिरहाने में सपने दबा कर सो जाना चाहता है
वो खिलखिला कर हंसना चाहता है, कभी वो मायूसी में रोना चाहता है
आज वो दोबारा बच्चा बन जाना चाहता है
वो बिस्तर में उछलकूद मचाना चाहता है
वो मां के आंचल में छिप जाना चाहता है
बड़ी मुश्किल से तो वो बड़ा हुआ है
फिर भी बच्चा बन जाना चाहता है

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा


मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
गिरा दिया है तो साहिल पे इंतिज़ार कर
अगर वो डूब गया है तो दूर निकलेगा
उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़
हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा
यक़ीं आए तो इक बात पूछ कर देखो
जो हँस रहा है वो ज़ख़्मों से चूर निकलेगा
उस आस्तीन से अश्कों को पोछने वाले
उस आस्तीन से ख़ंजर ज़रूर निकलेगा

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RECITATIONS

नोमान शौक़

नोमान शौक़

Wednesday, April 4, 2018

‘स्त्री सशक्तीकरण

 ढिंढोरा पीटा जाता है कि ‘स्त्री सशक्तीकरण’ के लिए, संसद और विधानसभा ने ना जाने कौन-कौन से बिल पारित किये हैं. वास्तविकता यह है कि दांपत्य में यौन संबंधों के बारे में सदियों पुराने कानून, सामंती सोच और सीलन भरे संस्कारों में, कोई बदलाव नहीं हो पा रहा. मालूम नहीं इस सवाल पर सबने क्यों ‘मौनव्रत’ धारण कर लिया है. मातृसत्तात्मक व्यवस्था वाले राज्यों में भी अपराधियों का राजनीतिकरण बढ़ा है. राजनीति में वहां भी, स्त्रियां परिधि पर हैं और निर्णायक स्थलों पर उनकी भूमिका गौण ही है. मेरे विचार से स्त्री के दमन, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ कानून बनने-बनाने में बड़ी बाधा है- राजनीति व सत्ता में ‘मर्दवादी’ नेताओं की षड्यंत्रपूर्ण चुप्पी और अपने अधिकारों के प्रति स्त्री आंदोलन का दिशाहीन भटकाव. 67 साल से दमित, शोषित आत्माओं की चीत्कार, न संसद को सुनाई देती है और न ही कोर्ट तक पहुंच पाती है. इसे (आधी दुनिया) का दुर्भाग्य कहूं या अपने ही पिता-पति और पुत्र का षड्यंत्र?   

Monday, April 2, 2018

लक्ष्य की तलाश


“मैं जो काम करता था, उससे बहुत love करता था.” “जिस काम (लक्ष्य) से आप प्यार करते हैं – उसे आपको तलाशना ही पड़ेगा.” यह आपके काम लिये भी उतना ही सही है जितना आपके lovers के लिये. आप अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा अपने काम पर लगाने जा रहे हैं, और आपको वास्तविक संतुष्टि मिलने का एक ही रास्ता है आप वही काम करें जिसमें आपको believe हो कि ये great काम है. और great काम करने का एक ही रास्ता है कि आप वही काम करें, जिसे आप प्यार करते हैं. अगर आपको अभी तक नहीं मिला है, तो तलाश करते रहें. समझौता न करें. …
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आवाम की आवाज

ज़िन नेताओं को हमने चुना  की वो हमारी आवाज
(आवाम की आवाज ) को बहरी सरकार  के कानों  तक पहुँचाये
आज वो ही राजनेता आवाम की आवाज को रौंध रहे हैं
"रक्षक ही वास्तव  में भक्षक" बन  गए हैं ||
-:रोहित राज रंजन 

Sunday, April 1, 2018

ईमानदारी

ईमानदारी

ईमानदारी नैतिक चरित्र का तत्व है, जो सच्चाई, दया, अनुशासन, ईमानदारी, आदि अच्छी आदतों को विकसित करती है। इसमें झूठ बोलना, दूसरों को धोखा देना, चोरी करना, और अन्य उन बुरी आदतों का अभाव होता है, जो लोगों को दुख देती हैं। ईमानदारी वास्तविकता में, विश्वसनीय, भरोसेमंद और पूरे जीवनभर ईमानदार होना है। ईमानदारी बहुत ही कीमती और अधिक महत्व वाली अच्छी आदत है। इस बारे में बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बहुत अच्छी कहावत कही है, “ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।” थॉमस जैफ्फरेंसन द्वारा कहा गया एक और कथन है कि, “बुद्धिमानी की किताब में ईमानदारी सबसे पहला पाठ है।” दोनों कथन अतीत में महान व्यक्तियों के द्वारा कहे गए हैं हालांकि, भविष्य में भी ये कथन सत्य ही रहेंगे।

आज नहीं तो कल होगा

हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी  दुरगामी है जीवन ...