Friday, April 27, 2018

मैं शायर हूँ,

तू  ज़ुल्म कहाँ तक ढ़ायेगा देखें किस हद तक जायेगा
हाँ झूँठ फ़ना होगा एक दिन सच का परचम लहरायेगा
अल्लाह हमारे साथ है तो हाथियारों से क्या डरना
मैं शायर हूँ,  एक शायर सरकारों  से क्या डरना

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