Wednesday, March 28, 2018

अँधेरी रात के गुमराह जुगनुओं के लिए

मैं जब चलूँ तो ये दौलत भी साथ रख देना
मेरे बुज़ुर्ग मेरे सर पे हाथ रख देना

ढलेगा दिन तो सुलगने लगेगा दिल मेरा
मुझे भी घर के चरागों के साथ रख देना

ये आने वाले ज़मानों के काम आएंगे
कहीं छुपा के मेरे तजुर्बात रख देना

अँधेरी रात के गुमराह जुगनुओं के लिए
उदास धुप की टहनी पे रात रख देना

मैं एक सच हूँ अगर सुन सको तो सुनते रहो
गलत कहूं तो मेरे मुंह पे हाथ रख देना
#raahat

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