Tuesday, April 17, 2018


एक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए



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आज नहीं तो कल होगा

हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी  दुरगामी है जीवन ...