Tuesday, April 24, 2018

ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया

     ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया 
मैं आज सारी किताबें जला कर लौट आया
ज़िन्नके पंखों पे उम्मीद लगा बैठा था 
आज ऊंही परों को उखाड फेक  आया
दिल साफ है मेरा शायद इसी लिये आज
लोगों की राजनीति का हिस्सा बन पाया
ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया
#rohitrajranjan.blogspot.com

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