Thursday, December 13, 2018

Thursday, August 16, 2018

Rest_In_Peace (RIP)

मौत ही अटल सत्य है ...#Rest_In_Peace (RIP)
वो हमारे बीच हमेशा ही रहेंगे उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन हर भारतीय को हमेशा मिलता रहेगा |
वो कह के गए: -
“मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”


Tuesday, July 17, 2018

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा[1]
मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा

यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा

ग़ज़ब ये है कि अपनी मौत की आहट नहीं सुनते
वो सब के सब परीशाँ हैं वहाँ पर क्या हुआ होगा

तुम्हारे शहर में ये शोर सुन-सुन कर तो लगता है
कि इंसानों के जंगल में कोई हाँका हुआ होगा

कई फ़ाक़े[2] बिता कर मर गया जो उसके बारे में
वो सब कहते हैं अब, ऐसा नहीं,ऐसा हुआ होगा

यहाँ तो सिर्फ़ गूँगे और बहरे लोग बसते हैं
ख़ुदा जाने वहाँ पर किस तरह जलसा[3] हुआ होगा

चलो, अब यादगारों की अँधेरी कोठरी खोलें
कम-अज-कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा
#dushyant_kumar
शब्दार्थ
 अपने मित्र के.पी शुंगलु को समर्पित जिन्होंने मतले का विचार दिया
 भोजन न मिलने पर भूखे रहने की स्थिति
 उत्सव

Wednesday, June 6, 2018

इतिहास बदल सकता है

जो पानी से नहायेगा वो सिर्फ लिबास बदल सकता है…
लेकिन जो पसीने से नहायेगा वो इतिहास बदल सकता है…

Wednesday, May 23, 2018

मुझे दर्द दो

मुझे दर्द दो मैं और हिम्मत बढ़ाऊंगा 
मुझे reject करो मैं और दिलों पर छाऊँगा 
मुझे small समझो मैं और  large बनकर दिखाऊंगा 

Monday, April 30, 2018

अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस

"यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्
 तथा पुरुषकारेण विना दैवं न सिध्यति"
अपने श्रम-बल से न सिर्फ अपना भाग्य लेख लिखने वाले बल्कि विश्व में मानव जीवन को आसान बनाने वाले सभी श्रम-साधकों को अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस पर प्रणाम!

Saturday, April 28, 2018

नाम मोहब्बत है

"जो धरती से अम्बर जोड़े उसका नाम मोहब्बत है
जो शीशे से पत्थर तोड़े उसका नाम मोहब्बत है
क़तरा क़तरा सागर तक तो जाती है हर उम्र, मगर
बहता दरिया वापस मोड़े उसका नाम मोहब्बत है..."
#KV

Friday, April 27, 2018

मैं शायर हूँ,

तू  ज़ुल्म कहाँ तक ढ़ायेगा देखें किस हद तक जायेगा
हाँ झूँठ फ़ना होगा एक दिन सच का परचम लहरायेगा
अल्लाह हमारे साथ है तो हाथियारों से क्या डरना
मैं शायर हूँ,  एक शायर सरकारों  से क्या डरना

Tuesday, April 24, 2018


ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया

     ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया 
मैं आज सारी किताबें जला कर लौट आया
ज़िन्नके पंखों पे उम्मीद लगा बैठा था 
आज ऊंही परों को उखाड फेक  आया
दिल साफ है मेरा शायद इसी लिये आज
लोगों की राजनीति का हिस्सा बन पाया
ज़िहालतों के अंधेरे मिटा के लौट आया
#rohitrajranjan.blogspot.com

Tuesday, April 17, 2018


एक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए



Friday, April 13, 2018

फिर भी बच्चा बन जाना चाहता है


वो नंगे पैर भागना चाहता है
वो सिरहाने में सपने दबा कर सो जाना चाहता है
वो खिलखिला कर हंसना चाहता है, कभी वो मायूसी में रोना चाहता है
आज वो दोबारा बच्चा बन जाना चाहता है
वो बिस्तर में उछलकूद मचाना चाहता है
वो मां के आंचल में छिप जाना चाहता है
बड़ी मुश्किल से तो वो बड़ा हुआ है
फिर भी बच्चा बन जाना चाहता है

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा


मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
गिरा दिया है तो साहिल पे इंतिज़ार कर
अगर वो डूब गया है तो दूर निकलेगा
उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़
हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा
यक़ीं आए तो इक बात पूछ कर देखो
जो हँस रहा है वो ज़ख़्मों से चूर निकलेगा
उस आस्तीन से अश्कों को पोछने वाले
उस आस्तीन से ख़ंजर ज़रूर निकलेगा

VIDEOS

RECITATIONS

नोमान शौक़

नोमान शौक़

Wednesday, April 4, 2018

‘स्त्री सशक्तीकरण

 ढिंढोरा पीटा जाता है कि ‘स्त्री सशक्तीकरण’ के लिए, संसद और विधानसभा ने ना जाने कौन-कौन से बिल पारित किये हैं. वास्तविकता यह है कि दांपत्य में यौन संबंधों के बारे में सदियों पुराने कानून, सामंती सोच और सीलन भरे संस्कारों में, कोई बदलाव नहीं हो पा रहा. मालूम नहीं इस सवाल पर सबने क्यों ‘मौनव्रत’ धारण कर लिया है. मातृसत्तात्मक व्यवस्था वाले राज्यों में भी अपराधियों का राजनीतिकरण बढ़ा है. राजनीति में वहां भी, स्त्रियां परिधि पर हैं और निर्णायक स्थलों पर उनकी भूमिका गौण ही है. मेरे विचार से स्त्री के दमन, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ कानून बनने-बनाने में बड़ी बाधा है- राजनीति व सत्ता में ‘मर्दवादी’ नेताओं की षड्यंत्रपूर्ण चुप्पी और अपने अधिकारों के प्रति स्त्री आंदोलन का दिशाहीन भटकाव. 67 साल से दमित, शोषित आत्माओं की चीत्कार, न संसद को सुनाई देती है और न ही कोर्ट तक पहुंच पाती है. इसे (आधी दुनिया) का दुर्भाग्य कहूं या अपने ही पिता-पति और पुत्र का षड्यंत्र?   

Monday, April 2, 2018

लक्ष्य की तलाश


“मैं जो काम करता था, उससे बहुत love करता था.” “जिस काम (लक्ष्य) से आप प्यार करते हैं – उसे आपको तलाशना ही पड़ेगा.” यह आपके काम लिये भी उतना ही सही है जितना आपके lovers के लिये. आप अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा अपने काम पर लगाने जा रहे हैं, और आपको वास्तविक संतुष्टि मिलने का एक ही रास्ता है आप वही काम करें जिसमें आपको believe हो कि ये great काम है. और great काम करने का एक ही रास्ता है कि आप वही काम करें, जिसे आप प्यार करते हैं. अगर आपको अभी तक नहीं मिला है, तो तलाश करते रहें. समझौता न करें. …
#

आवाम की आवाज

ज़िन नेताओं को हमने चुना  की वो हमारी आवाज
(आवाम की आवाज ) को बहरी सरकार  के कानों  तक पहुँचाये
आज वो ही राजनेता आवाम की आवाज को रौंध रहे हैं
"रक्षक ही वास्तव  में भक्षक" बन  गए हैं ||
-:रोहित राज रंजन 

Sunday, April 1, 2018

ईमानदारी

ईमानदारी

ईमानदारी नैतिक चरित्र का तत्व है, जो सच्चाई, दया, अनुशासन, ईमानदारी, आदि अच्छी आदतों को विकसित करती है। इसमें झूठ बोलना, दूसरों को धोखा देना, चोरी करना, और अन्य उन बुरी आदतों का अभाव होता है, जो लोगों को दुख देती हैं। ईमानदारी वास्तविकता में, विश्वसनीय, भरोसेमंद और पूरे जीवनभर ईमानदार होना है। ईमानदारी बहुत ही कीमती और अधिक महत्व वाली अच्छी आदत है। इस बारे में बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बहुत अच्छी कहावत कही है, “ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।” थॉमस जैफ्फरेंसन द्वारा कहा गया एक और कथन है कि, “बुद्धिमानी की किताब में ईमानदारी सबसे पहला पाठ है।” दोनों कथन अतीत में महान व्यक्तियों के द्वारा कहे गए हैं हालांकि, भविष्य में भी ये कथन सत्य ही रहेंगे।

Wednesday, March 28, 2018

अँधेरी रात के गुमराह जुगनुओं के लिए

मैं जब चलूँ तो ये दौलत भी साथ रख देना
मेरे बुज़ुर्ग मेरे सर पे हाथ रख देना

ढलेगा दिन तो सुलगने लगेगा दिल मेरा
मुझे भी घर के चरागों के साथ रख देना

ये आने वाले ज़मानों के काम आएंगे
कहीं छुपा के मेरे तजुर्बात रख देना

अँधेरी रात के गुमराह जुगनुओं के लिए
उदास धुप की टहनी पे रात रख देना

मैं एक सच हूँ अगर सुन सको तो सुनते रहो
गलत कहूं तो मेरे मुंह पे हाथ रख देना
#raahat

लाल और हरे में मत बांटो

न मस्जिद को जानते हैं ,
न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है……
में अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा रहने दो…
लाल और हरे में मत बांटो
, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो
#bhagat


दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ ; तुम्हारे पास  खोने को कुछ भी नहीं है ,सिवाय अपनी जंजीरों के
...कार्ल मार्क्स
ज़िन्दगी दो दिन की है
एक दिन आपके पक्ष में , और जिस दिन आपके पक्ष में हो तो गुरूर ना करना
और दूसरा दिन आपके खिलाफ और जिस दिन आपके खिलाफ में हो तो सब्र  रखना ||

अगर कोई आपसे नफरत करता है तो
इसके दो कारण हो सकते हैं
एक ऐसा कुछ जो आपके है उसे पसंद नहीं  या
 दूसरा आपके पास कुछ ऐसा है जो उसके पास नहीं !!

मैं कौन हूँ

कोई ये बतादे,
मैं हूँ कहाँ,
कोई तो बतादे,
मेरा पता,

सही है के नही,
मेरी ये डगर,
लून के नही मैं,
अपना ये सफ़र,

डर लगता हैं सपनो से,
कर्दे ना यह तबाह,
डर लगता है अपनो से,
देदे ना ये दागा,

मैं चाँद हूँ या दाग हूँ,
मैं राख हूँ या आग हूँ,
मैं बूँद हूँ या हूँ लेहर,
मैं हूँ सकूँ या हूँ कहर..

कोई ये बतादे,
मैं कौन हूँ?
क्यू हूँ मैं क्या हूँ,
मैं कौन हूँ?

यकीन है के नहीं,
खुद पे मुझको क्या?
हूँ के नही मैं,
है फराक पड़ता क्या?

किसके कंधो पे रोऊँ,
हो जाए जो ख़ाता,
किसको राहों में ढूनडूं,
खो जाए जो पता,

मैं चाँद हूँ या दाग हूँ,
मैं राख हूँ या आग हूँ,
मैं बूँद हूँ या हूँ लेहर,
मैं हूँ सकूँ या हूँ कहर..

हे..हे..हे..हे..

मैं कौन हूँ?
#secret_superstar


बुलंदी का नशा

बुलंदी का नशा संतों के जादू तोड़ देती है,
हवा उड़ते हुए पंछी के बाज़ू तोड़ देती है !
सियासी भेड़ियों थोड़ी बहुत गैरत ज़रूरी है,
तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है !

Tuesday, March 27, 2018

बुलंदी का नशा संतों के जादू तोड़ देती है,
हवा उड़ते हुए पंछी के बाज़ू तोड़ देती है !
सियासी भेड़ियों थोड़ी बहुत गैरत ज़रूरी है,
तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है !
बेड़यिां जितनी मजबूत हों उडऩे का उतना ही मन करता है।

अब तो पथ यही ह

जिंदगी ने कर लिया स्वीकार,
अब तो पथ यही है|
अब उभरते ज्वार का आवेग मद्धिम हो चला है,
एक हलका सा धुंधलका था कहीं, कम हो चला है,
यह शिला पिघले न पिघले, रास्ता नम हो चला है,
क्यों करूँ आकाश की मनुहार ,
अब तो पथ यही है |

क्या भरोसा, काँच का घट है, किसी दिन फूट जाए,
एक मामूली कहानी है, अधूरी छूट जाए,
एक समझौता हुआ था रौशनी से, टूट जाए, 
आज हर नक्षत्र है अनुदार,
अब तो पथ यही है
यह लड़ाई, जो की अपने आप से मैंने लड़ी है,
यह घुटन, यह यातना, केवल किताबों में पढ़ी है,
यह पहाड़ी पाँव क्या चढ़ते, इरादों ने चढ़ी है,
कल दरीचे ही बनेंगे द्वार,
अब तो पथ यही है |
#Dushyant


उनके ख़ाले - आरिज़ पे न मरे होते
 तो शर्तिया अभी  हम  और  जिए होते

 (ख़ाले-आरिज़ = गाल का तिल)

मेरी पहचान

"कि ख्वाबों कि तरह #हकीकत मेँ  बुना जाए मुझे,
कोई #मुश्किल कि घडी हो तो चुना जाए मुझे,
सिर्फ कलम ही #पहचान नहीं है मेरी,
मेरी #कलम से आगे भी लिखा जाए मुझे ||

मैं

“पराए आँसुओं से आँख को नम कर रहा हूँ मैं ,
भरोसा आजकल खुद पर भी कुछ कम कर रहा हूँ मैं ,
बड़ी मुश्किल से जागी थी ज़माने की निगाहों में ,
उसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूँ मैं ..!”
#drkv
इंसान का विकास इस बात पे निर्भर करता है
कि उसका सलाहकार कौन है य़ा
वो सलाह  किससे लेता है

दिल आखिर तू क्यूँ रोता है

जब  जब  दर्द  का  बादल  छाया
जब  ग़म  का  साया  लहराया
जब  आंसू  पलकों तक  आया
जब  यह  तनहा  दिल  घबराया
हमने  दिल  को  यह  समझाया
दिल  आखिर  तू  क्यूँ रोता  है
दुनिया  में यूँही  होता  है
यह  जो  गहरे  सन्नाटे  हैं
वक़्त  ने  सबको  ही  बांटे  हैं
थोडा  ग़म  है  सबका  किस्सा
थोड़ी धूप  है  सबका  हिस्सा
आँख  तेरी  बेकार  ही  नम  हैं
हर  पल  एक  नया  मौसम  है
क्यूँ तू  ऐसे  पल  खोता  है
दिल  आखिर  तू  क्यूँ रोता  है
#ZINDAGI_NA_MILEGI_Dobara
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आज नहीं तो कल होगा

हर एक संकट का हल होगा, वो आज नहीं तो कल होगा माना कि है अंधेरा बहुत और चारों ओर नाकामी माना कि थक के टूट रहे और सफर अभी  दुरगामी है जीवन ...